Sunday, October 3, 2010

तुम्हारा दिल मैं अपने साथ ले आता हूँ

(ई. ई. कमिंग की कविता- 'आई कैरी योर हार्ट विद मी')

तुम्हारा दिल मैं अपने साथ ले आता हूँ
मेरी जान (मैं अपने दिल में छुपाकर इसे ले आता हूँ)
मैं कभी इसके बिना नहीं होता (ओ प्रिय मैं जहाँ जाता हूँ तुम भी जाती हो,
मुझसे जो भी होता है वो तुम ही तो करती हो)
मैं नहीं घबराता
नसीब से (प्यारी तुम ही तो हो मेरा नसीब) मुझे नहीं चाहिए
ये दुनिया (तुम ही तो हो मेरी सुन्दर दुनिया, मेरा सच तुम ही हो)
चाँद ने जो कुछ भी कहा वो तुम ही हो
सूरज जो भी गाएगा वो तुम ही हो

इसमें एक गहरा राज है जिसे कोई नहीं जानता
(आत्मा या मन से भी तेज बढ़ने वाले जीवन नामक इस पेड़
की जड़ से निकली जड़, कली से निकली कली और आकाश से निकला आकाश
या तो उम्मीद कर सकता है या छुपा सकता है) और यही आश्चर्य सितारों को एक-दूसरे से अलग किए रहता है

तुम्हारा दिल मैं ले आता हूँ (मैं अपने दिल में छुपाकर इसे ले आता हूँ)

(अनुवाद : प्रमोद)

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