कभी कभी भूलना भी याद करना होता है
ऐसे ही किसी समय में
जब मैं तुम्हें भूलने की कोशिश में लगा था
वो शायद अप्रेल के आखिरी दिनों की दोपहर रही होगी कोई
मैं इस देह के बीयाबान बन के खयाल में राह भटका था
कि एक गुलमोहर मिला
अपने पूरे नाजोनखरे के साथ
बहुत शर्माया सा
कि सुर्ख होठ थे उसके और ललाई गालों तक फैली थी
मेरे कान के पास आकर बोला
बहुत गुजरे हो मेरी छाँह से
और शाम के झुटपुटे में इस सघनता में
थामा है कोई हाथ गर्माहट भरा कई कई बार
आज बस इतना भर कर दो
इस पड़ौसी अमलतास से मुझे भी मिलवा दो
मेरा हाथ बस उसकी देह से छुआ दो
आज मेरे भीतर भी कुछ उमड़ा है
मैंने एक डाल को पकड़ अमलतास से छुआ भर दिया
कि बस क्या था
अमलतास ने एक आह भरी ठंडी
और उसकी देह से चाँदनी फूटने लगी
जिसके पानी के झिलमिलाते अक्स में
मुझे अपना बहुत कुछ याद आया
Wednesday, April 20, 2011
Tuesday, April 5, 2011
कविता
इस धूप में भी तुम कहाँ से चुरा लाती हो बादल
और छोड़ जाती हो उसे मेरे बिस्तर की सलवटों में
सुबह ख्वाब से उठकर मैं उन सलवटों में
बस तुम्हारी नमी ढूँढ़ता हूँ .
और छोड़ जाती हो उसे मेरे बिस्तर की सलवटों में
सुबह ख्वाब से उठकर मैं उन सलवटों में
बस तुम्हारी नमी ढूँढ़ता हूँ .
Saturday, April 2, 2011
भाषा, मेरी ज़ुबान... मेरा साथ दो (प्रार्थना)
ओ मेरी भाषा!
इस तरह हकलाओ मत
मेरा साथ दो
जब प्यार में इतनी खूबसूरती से साथ दिया
तो अब मत छोड़ो मुझ निरीह को इस तरह वध्य और अकेला
तुम्हें गढ़ने ही होंगे मेरे लिए
कुछ रूपक अकेलेपन के दुख के भी
इन बिछोह के काँच के किरचों पर चलने को भी
तुम्हें ही देनी होगी अभिव्यक्ति
ओ भाषा!
तुम इतना सा और साथ दो मेरा
ओ मेरी ज़ुबान!
जब इतने स्वाद भरे जीवन को तुमने जीया है
तो इन छालों को भी तुम्हें ही सहना होगा.
तुम साथ दो मेरा
ओ मेरी आवाज!
इस दिल को
एक खिलंदड़ गेंद में तुमने ही बदला है
तो अब इसकी उधड़न को भी कहना ही होगा
तुम साथ दो मेरा
इस तरह हकलाओ मत
मेरा साथ दो
जब प्यार में इतनी खूबसूरती से साथ दिया
तो अब मत छोड़ो मुझ निरीह को इस तरह वध्य और अकेला
तुम्हें गढ़ने ही होंगे मेरे लिए
कुछ रूपक अकेलेपन के दुख के भी
इन बिछोह के काँच के किरचों पर चलने को भी
तुम्हें ही देनी होगी अभिव्यक्ति
ओ भाषा!
तुम इतना सा और साथ दो मेरा
ओ मेरी ज़ुबान!
जब इतने स्वाद भरे जीवन को तुमने जीया है
तो इन छालों को भी तुम्हें ही सहना होगा.
तुम साथ दो मेरा
ओ मेरी आवाज!
इस दिल को
एक खिलंदड़ गेंद में तुमने ही बदला है
तो अब इसकी उधड़न को भी कहना ही होगा
तुम साथ दो मेरा
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